About संघर्ष हौसला पर शायरी

पथिक, न घबरा जाना, पहले मान करेगी मधुशाला।।१३।



तारक-मणि-मंडित चादर दे मोल धरा लेती हाला,

इस समाज ‍ ‍ ‍ में औरत को कोई ढंग की इजत दे ना पाया.. कुछ दरिदों ने तो हरिदगी का अपने सिर पर सेहरा है सजाया.

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एक बार ही लगती बाज़ी, जलती दीपों की माला,

वेदिवहित यह रस्म न छोड़ो वेदों के ठेकेदारों,

एक बरस में, एक बार ही जगती होली की ज्वाला,

मोबाइल का उपयोग सिर्फ फोन लगाने सेल्फी खिचने के लिए नहीं बल्कि read more अपने समाज ‍ ‍ ‍ को जागरूत करने के लिए भी करे क्योंकि मिडीया अपनी नही है....

क्षीण, क्षुद्र, क्षणभंगुर, दुर्बल मानव मिटटी का प्याला,

जीवन पाकर मानव पीकर मस्त रहे, इस कारण ही,

बड़ी पुरानी, बड़ी नशीली नित्य ढला जाती हाला,

बिना पिये जो मधुशाला को बुरा कहे, वह मतवाला,

जलने से भयभीत न जो हो, आए मेरी मधुशाला।।१५।

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